नई दिल्ली: रोहिंग्या मुसलमानों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामें में आज केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों का देश में रहना गैरकानूनी है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में 16 पन्नों का जवाब दाखिल किया है. फिलहाल इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है. अब इस मामले की सुनवाई अगले महीने तीन तारीख को होगी.
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को क्या बताया
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
है कि रोहिंग्या मुसलमानों का यहां रहना गैर कानूनी है. हम उन संवैधानिक
अधिकारों का हवाला नहीं दे सकते जो भारतीय नागरिकों को हासिल हैं. केंद्र
सरकार की तरफ से कहा गया है कि रोहिंग्या आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं.
इनके रहने से देश के नागरिकों का संसाधनों पर हक़ भी प्रभावित होगा. कुछ
रोहिंग्या आतंकवाद में भी शामिल हैं.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम
टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहले हमें यह तय करना है कि
मामले को सुनना हमारे अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं. इस मामले में
सुप्रीम कोर्ट ने एनएचआरसी को नोटिस जारी करने से फिलहाल मना कर दिया है.
क्या है पूरा मामला ?
म्यांमार में लंबे अरसे से रोहिंग्या
मुसलमान पलायन कर रहे हैं. रोहिंग्या भारत, बांग्लादेश और थाईलैंड समेत कई
दूसरे देशों में शरण ले रहे हैं. म्यांमार से पलायन करने के बाद रोहिग्या
मुसलमान बांग्लादेश में पनाह ले रहे हैं. सिर्फ बांग्लादेश ही नहीं भारत
में भी हजारों रोहिंग्या मुसलमानों ने शरण ले रखी है. दरअसल म्यांमार के
रखाइन राज्य में सेना और रोहिंग्या चरमपंथियों के बीच संघर्ष चल रहा है.
सैकड़ों लोग इसमें मारे जा चुके हैं. दुनियाभर के मानवाधिकार संगठन
म्यांमार में रोहिंग्या पर अत्याचार का आरोप लगा रहे हैं.
भारत में 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान
अब तक करीब 1 लाख 80 हजार रोहिंग्या
मुसलमान बांग्लादेश में शरण ले चुके हैं. भारत में भी 40 हजार रोहिंग्या
मुसलमान रह रहे हैं. ज्यादातर रोहिंग्या जम्मू कश्मीर, हैदराबाद, हरियाणा,
उत्तर प्रदेश ,दिल्ली एनसीआर और राजस्थान में मोजूद हैं.
अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को बाहर किया जाएगा- केंद्र सरकार
रोहिंग्या मुसलमान का मुद्दा देश की
राजनीति को भी गरमा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर ही सरकार से जवाब मांगा
था. सरकार का कहना है कि देश में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या
मुसलमानों को बाहर निकाला जाएगा. सरकार को डर ये है कि पाकिस्तान के आतंकी
संगठन रोहिंग्या मुसलमान का इस्तेमाल भारत में आतंक फैलाने के लिए कर सकते
हैं.
संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता
रोहिंग्या मुसलमानों की हालत पर संयुक्त
राष्ट्र ने भी चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस
ने कहा कि अब इस मामले में और देरी नहीं की जा सकती. हमें समस्या की जड़
में जा कर उसे सुलझाना होगा. हम म्यांमार सरकार से अपील करते हैं कि वो
रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता दे नहीं तो कम से कम उन्हें कानूनी तौर पर
रहने की इजाजत दे.
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